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कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका
रागद्वेषादिहन्त्रीं रविशशिनयनां राज्यदानप्रवीणाम् ।
Her illustration just isn't static but evolves with inventive and cultural influences, reflecting the dynamic nature of divine expression.
कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः
पद्मालयां पद्महस्तां पद्मसम्भवसेविताम् ।
ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥
The legend of Goddess Tripura Sundari, generally known as Lalita, is marked by her epic battles versus forces of evil, epitomizing the Everlasting battle among superior and evil. Her tales are not simply stories of conquest but more info additionally have deep philosophical and mythological significance.
कर्तुं मूकमनर्गल-स्रवदित-द्राक्षादि-वाग्-वैभवं
Philosophically, she symbolizes the spiritual journey from ignorance to enlightenment and it is linked to the supreme cosmic ability.
ह्रीं ह्रीं ह्रीमित्यजस्रं हृदयसरसिजे भावयेऽहं भवानीम् ॥११॥
The Goddess's victories are celebrated as symbols of the final word triumph of excellent in excess of evil, reinforcing the ethical fabric with the universe.
Comprehension the importance of those classifications helps devotees to select the appropriate mantras for their particular spiritual journey, ensuring that their methods are in harmony with their aspirations along with the divine will.